स्थापना
- प्रशासन अनुभाग
यह अनुभाग मानव संसाधन प्रबंधन से सम्बंधित निम्न सभी प्रकार के कार्य करता है :-
- कर्मचारी वर्ग की भर्ती |
- कर्मचारी की तैनाती |
- वेतन का निर्धारण , सेवा पुस्तिकाओं का रख-रखाव और कर्मचारियों की पदोन्नति से सम्बंधित कार्य |
- विभाग और आवास आबंटन से सम्बंधित मामले |
- संसद से सम्बंधित मामले |
- भर्ती नियमों को तैयार करना, आरक्षण रोस्टर का रख-रखाव|
- मंत्रालय और स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के साथ पत्राचार करना |
2. लेखा खंड
लेखा खंड में देयक अनुभाग, लेखा अनुभाग और परिव्यय लेखा अनुभाग सम्मिलित हैं :
- बजट तैयार करना तथा इसका अनुवीक्षण करना |
- तैयार करना |
- कटौती करना |
- प्रतिपूर्ति दावों का प्रबंधन |
- भत्तों का प्रबंधन |
- सभी प्रकार का भुगतान।
- और सेवाओं की लागत का निर्धारण करना |
- लेखा परीक्षा।
राजभाषा (हिन्दी) अनुभाग
भारतीय संविधान के 26 जनवरी, 1950 को लागू होने के साथ-साथ संविधान की धारा 343 के अनुसार देवनागरी में लिखी गई हिन्दी भारत संघ की राजभाषा बनी । धारा 351 के अनुसार भारत सरकार को यह उत्तरदायित्व सौंपा गया कि वह हिन्दी भाषा का प्रसार करे और उसका विकास करे ताकि हिन्दी भारत की सामासिक संस्कृति के सभी तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके । इन संवैधानिक प्रावधानों के अनुपालन में इस संस्थान में वर्ष 1981 में एक अलग से हिन्दी अनुभाग की स्थापना की गई थी जिसमे निम्न-निर्दिष्ट स्वीकृत पद हैं:
- हिन्दी अधिकारी (सहायक निदेशक (रा0भा0) के रूप में पुनर्पदनामित)- 1 (वर्ष 1979 से )
- कनिष्ठ हिन्दी अनुवादक (कनिष्ठ अनुवादक के रूप में पुनर्पदनामित)- 2 ( 1- वर्ष 1976 और दूसरा वर्ष 1979 से)
- हिन्दी टंकक (निम्न श्रेणी लिपिक के रूप में पुनर्पदनामित)- 1 (वर्ष 1979 से )
संस्थान के हिन्दी अनुभाग के निम्न प्रकार के उद्देश्य हैं:-
- भारत सरकार की राजभाषा नीति संबंधी भारतीय संविधान के प्रावधानों और राजभाषा अधिनियम 1963 के विभिन्न प्रावधानों के कार्यान्वयन/अनुपालन संबंधी गतिविधियां चलाना ।
- हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान न रखने वाले/हिन्दी टंकण में अप्रशिक्षित केंद्र सरकार के कर्मचारियों का शिक्षण/प्रशिक्षण ।
- विभिन्न कार्यालयीन तथा प्रक्रियात्मक साहित्य संबंधी प्रलेखों का अनुवाद ।
तदनुरूप ही संस्थान का हिन्दी अनुभाग उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति के लिए राजभाषा विभाग द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भरसक प्रयास कर रहा है । संस्थान में कार्यालयीन कार्यों में हिन्दी के उत्तरोत्तर प्रयोग को बढ़ाने में पर्याप्त सफलता भी मिली है तथापि निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करना अभी बाकी है । संस्थान में हिन्दी के प्रयोग में वृद्धि अवश्य हुई है और इस संबंध में हमारी उपलब्धियों की विभिन्न निरीक्षण दलों के साथ-साथ संसदीय राजभाषा समिति द्वारा भी सराहना की गई है ।